Wednesday, January 29, 2014

डॉ. उर्जित आर पटेल समिति की मुख्य सिफारिशें

मौद्रिक नीति ढांचा संशोधित करने और उसे मजबूत बनाने को लेकर गठित की गई विशेषज्ञ समिति ने अपनी रिपोर्ट 21 जनवरी 2014 को भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर को सौंप दी. समिति का गठन भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर डॉ. रघुराम राजन ने 12 सितंबर 2013 को किया था, जिसके अध्यक्ष रिज़र्व बैंक के उप गवर्नर डॉ. उर्जित आर. पटेल थे. ऐसा उसे पारदर्शी और अनुमेय (प्रिडिक्टेबल) बनाने के लिए किया गया था. 
समिति की मुख्य सिफारिशें 
विशेषज्ञ समिति ने अपने सुझावों में निम्नलिखित सिफारिशेन की. 
• मौद्रिक नीति के निर्धारण के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक को एक नया उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) अपनाना चाहिए. 
• समिति ने आसपास 2 प्रतिशत के प्लस/माइनस बैंड के साथ 4 प्रतिशत का मुद्रास्फीति लक्ष्य भी तय किया.  
• मौद्रिक नीति संबंधी निर्णय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के हाथों में सौंपा जाना चाहिए, जिसके अध्यक्ष भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर हों.
• सिफारिश के रूप में दिए गए इन सुझावों का आशय यह स्पष्ट करते हुए कि मुद्रास्फीति भारतीय रिज़र्व बैंक का प्राथमिक लक्ष्य है, मुद्रास्फीतिगत अपेक्षाएं बेहतर बनाना है. वह उसके निष्पादन के लिए उसे जिम्मेदार ठहराए जाने की अपेक्षा भी करती है.     
• सरकार को भी यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि जीडीपी के अनुपात के रूप में राजकोषीय घाटा कम करके 2016-17 तक 3 प्रतिशत पर लाया जाना चाहिए, जो राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन (संशोधन) नियमावली 2013 से संगत होना चाहिए. 
• बाजार स्थिरीकरण योजना (एमएसएस) और नकदी प्रबंधन बिल (सीएमबी) को समाप्त कर दी जानी चाहिए.
• सरकारी ऋण और नकदी प्रबंधन सरकार के ऋण प्रबंधन कार्यालय द्वारा अपने हाथ में ले लेना चाहिए. 
• समस्त नियत आय वाले वित्तीय उत्पादों को कराधान और टीडीएस के प्रयोजनों से बैंक-जमाराशियों के समान समझा जाना चाहिए.        
• खुले बाजार के कार्यकलापों (ओएमओज) को राजकोषीय परिचालनों से अलग करने और इसके स्थान पर उन्हें पूर्णत: चलनिधि-प्रबंधन से जोड़े जाने का सुझाव दिया. 
• ओएमओज का इस्तेमाल सरकारी प्रतिभूतियों पर होने वाली आय के प्रबंधन के लिए नहीं किया जाना चाहिए. 

No comments:

Blog Archive