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Sunday, September 15, 2013
National Integration Council (NIC) राष्ट्रीय एकता परिषद
National Integration Council (NIC) राष्ट्रीय एकता परिषद
The NIC was constituted to combat the evils of communalism, casteism, regionalism, linguism and narrow-mindedness as a follow up of National Intergration Conference under the then Prime Minister Pt. Jawaharlal Nehru in September- October, 1961. First meeting of NIC was held in 1962.
The NIC declared its objectives in the meeting held in 1968 as unity in diversity, freedom of religions, secularism, equality, justice-social-economic and political, and fraternity among all communities.
The NIC, however, notes with concern the increase in communal incidents in different parts of the country over the last few years. The Council emphasizes that notwithstanding sporadic occurances of communal and other divisive conflicts, the vast majority of common men and women, irrespective of their religious affiliations, live in peace and harmony and have no interest in violence and disorders.
The council wishes to emphasize that this task is not of Governments alone although governments have to play a major role in strengthening the forces of integration and in implementing expeditiously and effectively the recommendations that this council makes. This task is the collective responsibility of all citizens-politicians, educationists, artists, writers, teachers, parents and students, intellectuals, businessmen and trade union leaders.
This council invites all Indians, regardless of their linguistic, religious, ethnic or cultural affiliations to join in this great and urgent task of promoting national unity and solidarity.
The last meeting of the NIC with 148 members was held on September 10, 2011. The Agenda of the meeting was:-
• Communal Harmony – Measures to curb communalism and communal violence; approach to Communal Violence Bill; measures to promote Communal Harmony.
• Discrimination – Especially against minorities and scheduled tribes; measures to eliminate such discrimination.
• Civil Disturbances – How should the State and the police handle civil disturbances?
• Radicalization of youth in the name of religion and caste – how to curb such radicalization?
एनआइसी का गठन सितंबर-अक्तूबर, 1961 में तत्कालीन प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू के तहत राष्ट्रीय एकता सम्मेलन के उपरांत साम्प्रदायिकता, जातिवाद, क्षेत्रवाद, भाषावाद और संकीर्णता की बुराइयों से निपटने के लिए किया गया था। एनआइसी की पहली बैठक 1962 को हुई थी।
एनआइसी ने 1968 में हुई बैठक में विविधता में एकता, धर्मों की आजादी, धर्मनिरपेक्षता, बराबरी, सामाजिक-आर्थिक एवं राजनीतिक न्याय और सभी समुदायों में भाइचारे को अपने उद्देश्य घोषित किए थे।
हालांकि एनआइसी पिछले कुछ वर्षों में देश के विभिन्न भागों में साम्प्रदायिक घटनाओं में वृद्धि पर चिंतित है। परिषद इस बात पर बल देती है कि साम्प्रदायिक एवं अन्य विभाजनकारी विवादों के छिटपुट रूप से उभरने के बावजूद अधिसंख्य आम आदमी और औरतें अपने धर्म पर विचार किए बिना शांति और भाईचारे के साथ रहते हैं तथा हिंसा और गड़बड़ी में कोई दिलचस्पी नहीं लेते हैं।
परिषद इस बात पर बल देना चाहती है कि यह कार्य अकेले सरकार का नहीं है हालांकि एकता को प्रोत्साहन देने वाली ताकतों को मजबूत करने में और परिषद की सिफारिशों के तेजी से और प्रभावशाली ढंग से कार्यान्वयन में सरकारों को प्रमुख भूमिका निभानी है। यह कार्य सभी नागरिकों-राजनीतिज्ञों, शिक्षाविदों, कलाकारों, लेखकों, शिक्षकों, अभिभावकों और विद्यार्थियों, बुद्धिजीवियों, व्यवसायियों और ट्रेड यूनियनों के नेताओं का सामूहिक उत्तरदायित्व है।
यह परिषद भाषा, धर्म, नस्ल या संस्कृतियों पर विचार किए बिना राष्ट्रीय एकता और भाइचारे को प्रोत्साहित करने के इस महान और तात्कालिक कार्य से जुड़ने के लिए सभी भारतीयों को आमंत्रित करती है।
एनआइसी की पिछली बैठक में 10 सितंबर, 2011 को 148 सदस्य शामिल हुए थे। बैठक का एजेंडा इस प्रकार था:-
• साम्प्रदायिक भाइचारा - साम्प्रदायिकता और साम्प्रदायिक हिंसा पर लगाम कसने के उपाय, साम्प्रदायिक हिंसा विधेयक का दृष्टिोण, साम्प्रदायिक भाइचारे को प्रोत्साहन।
• भेदभाव - खासतौर से अल्पसंख्यकों और अनुसूचित जनजातियों के विरुद्ध, ऐसे भेदभाव के उन्मूलन के उपाय।
• नागरिक अशांति - राज्य और पुलिस को नागरिक अशांति से कैसे निपटना चाहिए
• धर्म एवं जाति के नाम पर युवाओं को उग्र करना - ऐसे उग्रवाद से कैसे निपटा जाए
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