Welcome to my blog. Here you will find material for competition preparation and greatest things of this world.........
Sunday, September 15, 2013
अंतर्राष्ट्रीय ओजोन परत संरक्षण दिवस
इस वर्ष का विषय है ''स्वस्थ वातावरण, हमारा भविष्य''। वर्ष 1995 में संयक्त राष्ट्र महासभा ने 49 के मुकाबले 114 मतों से पारित प्रस्ताव को अंगीकार किया था जिसके जरिए हर साल 16 सितम्बर को अंतर्राष्ट्रीय ओजोन परत संरक्षण दिवस मनाने का फैसला लिया। इसी दिन 16 सितम्बर 1987 को मौंट्रियल समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे। वर्ष 1995 से हर साल इस दिन को समझौते की याद में अंतर्राष्ट्रीय ओजोन परत संरक्षण दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य वैश्विक स्तर पर लोगों का ध्यान पर्यावरण से जुड़े अहम मुद्दों की ओर आकर्षित करना है।
पृष्ठभूमि
ओजोन परत के संरक्षण के लिए वियना में 22 मार्च, 1985 को एक समझौते पर हस्ताक्षर किये गये थे। इसके बाद 16 सितम्बर, 1987 को मौंट्रियल में ओजोन परत के क्षरण के लिए जिम्मेदार तत्वों (ओडीएस) की रोकथाम के लिए एक समझौता किया गया। भारत वियना समझौते में 18 मार्च, 1991 को और मौंट्रियल समझौते में 19 जून, 1992 को शामिल हुआ। ओजोन परत के संरक्षण के लिए मौंट्रियल समझौते को पर्यावरण के लिहाज से इतिहास का सबसे सफल समझौता माना जाता है। इसे वैश्विक स्तर पर बड़ा समर्थन मिला है। दुनिया के सभी देशों ने इस समझौते का अनुमोदन किया है। ओजोन परत संरक्षण के लिए इसके जरिए विश्व समुदाय को एकजुट किया गया है।
मौंट्रियल समझौता दशकों के अनुसंधान का परिणाम है। इसके जरिए यह साबित किया गया है कि वायुमंडल में छोड़े जाने वाले क्लोरीन और ब्रोमीन युक्त रसायन ओजोन परत को नुकसान पहुंचाते हैं। ओजोन परत के क्षरण से सूरज की पराबैंगनी किरणें समताप मंडल को भेदती हुई सीधे धरती पर पहुंच जाती हैं। यह किरणें मनुष्यों के साथ ही पेड़-पौधों और जीव-जंतुओं पर घातक प्रभाव डालती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक दुनिया में प्रति वर्ष 12 से 15 मिलियन लोग मोतियाबिंद के कारण दृष्टिहीनता का शिकार होते हैं। इसमें से 20 प्रतिशत मामले सूर्य की तेज किरणों से पड़ने वाले दुष्प्रभाव के कारण होते हैं।
प्रारंभिक अनुसंधानों के आधार पर मौंट्रियल समझौते की शर्तों में यह तय किया गया कि इस पर हस्ताक्षर करने वाले देश ओजोन परत को नुकसान पहुंचाने वाले क्लोरो फ्लोरो कार्बन, हेलोन और कार्बन ट्रेट्रा क्लोराईड जैसे तत्वों को एक निश्चित अवधि में पूरी तरह खत्म करेंगे। बाद के अध्ययनों में ओजोन परत के लिए हाइड्रो क्लोरो कार्बन को भी घातक पाये जाने के बाद इसे भी निश्चित अवधि में खत्म किये जाने के दायरे में लाया गया।
पिछले 25 वर्षों से लागू मौंट्रियल समझौते को वैश्विक स्तर पर अप्रत्याशित समर्थन मिला है। यह ओजोन परत को नुकसान पहुंचाने वाले तत्वों (ओडीएस) को खत्म करने के प्रयासों की अगुवाई कर रहा है। इन प्रयासों के कारण ही वैश्विक स्तर पर 1 जनवरी, 2010 तक सीएफएस, सीटीसी और हेलोन जैसे घातक रसायनों का उत्पादन और इस्तेमाल पूरी तरह खत्म हो गया। इससे न केवल ओजोन परत को बचाने में मदद मिली है, बल्कि इससे जलवायु तंत्र को भी काफी फायदा पहुंचा है। ओडीएस एक तरह की ग्रीन हाउस गैसे हैं जिन पर प्रतिबंध के बारे में क्योटो समझौते में कोई व्यवस्था नहीं की गई। विशेषज्ञों के अनुमान के मुताबिक 1 जनवरी, 2010 तक वैश्विक स्तर पर ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में 11 गीगा टन तक की कमी आई है। यह कमी ओडीएस में कटौती की वजह से हुई है।
वियना और मौंट्रियल समझौते का हिस्सा बनने के बाद से भारत ओजोन परत के संरक्षण से जुड़ी वैश्विक चिंताओं में बड़ा भागीदार रहा है। वह ओडीएस में कटौती में भी अहम भूमिका निभा रहा है। ओडीएस ओजोन परत के ऐसे हानिकारक तत्व हैं जिनका इस्तेमाल उद्योगों, फार्मा क्षेत्र, वातानुकूलन यंत्रों, फोम, अग्निशमन यंत्रों, धातुओं और कपड़ों की सफाई में तथा मृदा को कीटनाशकों से मुक्त करने और जल्दी खराब हो जाने वाली निर्यात वस्तुओं को सुरक्षित रखने के लिए बड़े पैमाने पर किया जाता है।
वर्ष 1993 से समझौते से जुड़े सभी पक्षों, उद्योगों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं के सक्रिय सहयोग के जरिए भारत में पहली जनवरी, 2010 के बाद से सीएफसी, सीटीसी और हेलोन गैसों का उत्पादन और इस्तेमाल खत्म हो गया है। हालांकि फार्मा क्षेत्र में इसके सीमित उपयोग की इजाजत दी गई है। इसके तहत दमा के मरीजों द्वारा इस्तेमाल किये जाने वाले इन्हेलरों, फेफड़ों से जुड़ी बीमारियों तथा ऐसे ही अन्य श्वसन रोगों के इलाज के लिए भी इनके इस्तेमाल की छूट दी गई है। हालांकि इसमें इस्तेमाल होने वाला सीएफसी असर के लिहाज से ज्यादा घातक नहीं माना गया है।
भारत में मौंट्रियल समझौते की व्यवस्थाओं की बाध्यता के 17 महीने पहले ही 1 अगस्त, 2008 से सीएफसी के उत्पादन पर रोक लगा दी गई। हालांकि फार्मा क्षेत्र के लिए कुछ खास दवाओं के उत्पादन के लिए इसमें छूट दी गई। दवा क्षेत्र में इस्तेमाल किया जाने वाला सीएफसी एक विशेष श्रेणी का है। वर्ष 2010 में देश में इस श्रेणी के 343.6 मेगाटन सीएफसी के उत्पादन की अनुमति ली गई। देश में दमा रोगियों के लिए अब ऐसे इन्हेलर भी बनाए जा रहे हैं, जिनमें सीएफसी का इस्तेमाल नहीं हो रहा है। दवा निर्माताओं ने इसमें बड़ी सफलता हासिल की है। इस तरह के इन्हेलर घरेलू बाजार में बेचे जा रहे हैं। इसलिए अब दवा निर्माताओं ने विशेष श्रेणी के सीएफसी के वर्ष 2011 से आगे के इस्तेमाल की अनुमति नहीं लेने का फैलसा किया है। सीएफसी, सीटीसी और हेलोन जैसे ओडीएस को खत्म करने की दिशा में मौंट्रियल समझौते की सफलता को देखते हुए सितम्बर, 2007 में समझौते से जुड़े पक्षों की 19वीं बैठक में अगले 10 वर्ष के अंदर एचसीएफसी गैसों को पूरी तरह खत्म करने का फैसला लिया गया है। विकासशील देशों के लिए इसकी सीमा क्रमश: वर्ष 2009 और 2010 में उत्पादन और इस्तेमाल के औसत के आधार पर तय की गई है। देश में एचसीएफसी गैसों का उत्पादन और इस्तेमाल 1 जनवरी, 2013 तक घटकर पहले चरण की सीमा पर आ चुका है। वर्ष 2015 तक इसमें 10 प्रतिशत की और कटौती का लक्ष्य हासिल करने की दिशा में प्रयास जारी हैं।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
Blog Archive
-
▼
2013
(58)
-
▼
September
(37)
- चुनाव सुधार की राह पर बढ.ते कदम
- Yes to the no-vote option
- Simla Agreement (1972)
- Simla Accord (1914)
- अंतर्राष्ट्रीय ओजोन परत संरक्षण दिवस
- आर्थिक परिदृश्य 2013-14: मुख्य बिंदु
- भारत-चिली सहयोग
- रीयल एस्टेट (विनियमन और विकास) विधेयक, 2013
- National Integration Council (NIC) राष्ट्रीय एकता ...
- झुग्गी झोपड़ी पुनर्वास योजना
- IBPS RRB PREVIOUS YEARS Q&A PAPERS
- important personalities
- स्ट्रीट वेंडर्स (जीविका सुरक्षा तथा स्ट्रीट वेंड...
- साक्षरता
- Convert Numbers to Million, Billion, Thousands, Hu...
- Read pratiyogita Darpan online
- Current Affairs 2013
- National Urban Livelihoods Mission
- IBPS PREPARATION
- MODERN HISTORY OF INDIA NOTES
- The Securities Laws (Amendment) Bill, 2013
- Enhancing SEBI’s Powers
- IMPORTANT BOOKS AND AUTHOR
- A balancing Act- The Land Acquisition Bill
- CO2 effect: focus on marine fauna
- Navy's first satellite GSAT-7 now in space
- Much-needed clarity
- Reasoning practice set 6
- GK Practice set 4
- Reasoning practice set 5
- English objective practice set 1
- GK practice set 3
- Quantitative Aptitude set 2
- Important National Activities in Modern History
- Viceroys Of India
- Founder/Editor of Newspaper/ Journals
- GK Practice set 2
-
▼
September
(37)
No comments:
Post a Comment