देश को स्लम मुक्त बनाने की योजना के तहत वर्ष 2013-2022 के दौरान केंद्र प्रायोजित राजीव आवास योजना (आर ए वाई) की शुरूआत की गई। इस योजना में दो सूत्रीय दृष्टिकोण पर अधिक ध्यान दिया जाएगा जिसमें मैजूदा स्लम बस्तियों को औपचारिक प्रक्रिया के दायरे में लाने तथा देश के अन्य शहरों की भांति उन्हें बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराना है। इसमें उन बातों पर गंभीरता से विचार-विमर्श किया जाएगा जो स्लम बस्तियों के उत्पन्न होने के मूल कारण हैं ताकि शहरों में रहने वाले गरीबों के लिए वहन किए जाने वाले आवासों के निर्माण की योजना को मूर्त रूप दिया जा सके तथा इसे हासिल करने के लिए महत्वपूर्ण नीतिगत बदलाव किए जा सकें।
अपने लागू होने के चरण में आर ए वाई, देश के सभी महानगरों शहरों तथा शहरी क्षेत्रों को समायोजित करेगी। केंद्र सरकार के साथ विचार-विमर्श के बाद राज्य सरकारें इनका चयन करेंगी और इसमें जिला मुख्यालयों, विरासत, पर्यटन और धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण शहरों, आर्थिक वृद्धि के लिहाज, शहरों में स्लम बस्तियों, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अल्पसंख्यक आबादी, कमजोर एवं निशक्त समुदायों को प्राथमिकता दी जाएगी।
केंद्र सरकार पूर्वोत्तर राज्यों और विशेष श्रेणी के राज्यों जैसे जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश एवं उत्तराखंड के पांच लाख से अधिक आबादी वाले, पांच लाख से कम आबादी वाले शहरों, महानगरों एवं शहरी क्षेत्रों के लिए परियोजना लागत का 50 प्रतिशत, 75 प्रतिशत, और 80 प्रतिशत खर्च वहन करेगी।
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