Tuesday, February 4, 2014

दिल्ली जनलोकपाल बिल


>>संसद से पास लोकपाल कानून और अन्य राज्यों के लोकायुक्त कानून में जो प्रावधान छूट गए हैं, उन्हें भी शामिल किया गया है।

>>भ्रष्टाचार में लिप्त लोगों को सजा जल्द मिल सकेगी।

>>दिल्ली लोकपाल बिल के दायरे में मुख्यमंत्री से दिल्ली सरकार के चपरासी तक आएंगे।

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लोकपाल के अध्यक्ष और दस सदस्यों का चयन सात सदस्यीय समिति करेगी। इनका कार्यकाल सात साल होगा। एक तिहाई सदस्य कानून के जानकार होंगे। 
>>चयन समिति में सरकार के नामित सदस्य सिर्फ मुख्यमंत्री होंगे। नेता प्रतिपक्ष, उच्च न्यायालय के दो न्यायाधीश जो सभी की बैठक में चुने जाएंगे, एक पूर्व लोकायुक्त, दो प्रतिष्ठित नागरिक होंगे, जिनका चयन समिति के अन्य सदस्य मिलकर करेंगे।

>>मुख्यमंत्री या मंत्री के खिलाफ भी भ्रष्टाचार के मामले सामने आते हैं तो कोई विशेषाधिकार नहीं होगा, जबकि उत्तराखंड विधानसभा ने 2011 में जो बिल पास किया है, उसमें मुख्यमंत्री व मंत्री के खिलाफ शिकायत दाखिल करने के लिए कुछ सीमाएं तय की गई हैं। 

>>लोकपाल को स्वयं संज्ञान या किसी व्यक्ति से शिकायत मिलने पर जांच शुरू करने की शक्ति दी गई है। 

>>भ्रष्टाचार के मामले में 6 महीने से 10 साल तक की सजा का प्रावधान है और दुर्लभ मामलों में आजीवन कारावास की सजा भी सुनाई जा सकती है।
>>इस बिल में पहली बार विसलब्लोवर और भ्रष्टाचार केस के गवाहों और भ्रष्टाचार उजागर करने के लिए आगे आने वाले अधिकारियों को संरक्षण का अधिकार दिया गया है।

>>ईमानदार अधिकारियों और देश के लिए कठिन परिश्रम करके काम करने वालों को सालाना विशेष पुरस्कार देने का भी प्रावधान है।

>>भ्रष्टाचार मामलों की समयबद्ध जांच और सुनवाई का प्रावधान।

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भ्रष्टाचार की वजह से फायदा उठाने वाली अगर व्यवसायी इकाई है तो कानून में सजा प्रावधानों के अलावा सरकारी खजाने को नुकसान से पांच गुना तक जुर्माना भी चुकाना होगा।

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