Sunday, September 15, 2013

आर्थिक परिदृश्‍य 2013-14: मुख्‍य बिंदु

आर्थिक परिदृश्‍य 2013-14: मुख्‍य बिंदु प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्‍यक्ष डॉ0 सी. रंगराजन ने आज यहां एक संवाददाता सम्‍मेलन में 'आर्थिक परिदृश्‍य 2013-14' दस्‍तावेज जारी किया। इसकी मुख्‍य बातें इस प्रकार हैं- Ø 2013-14 में अर्थव्‍यवस्‍था में 5.3 प्रतिशत की वृद्धि दर रहेगी · वर्ष 2013-14 में कृषि क्षेत्र में 4.8 प्रतिशत की दर से वृद्धि का अनुमान किया गया है जबकि 2012-13 में यह 1.9 प्रतिशत था। समय-पूर्व आए मानसून के फलस्‍वरूप फसल की बुआई पर काफी अच्‍छा प्रभाव पड़ा। 29 अगस्‍त 2013 को समाप्‍त हुए सप्‍ताह में जलाशयों की स्थिति पिछले 10 वर्षों के औसत की तुलना में 29 प्रतिशत बेहतर थी, इसलिए खरीफ और रबी दोनों फसलों के अच्‍छे होने की उम्‍मीद है। · 2013-14 में उद्योग क्षेत्र (विनिर्माण, खनन, बिजली, गैस, जल आपूर्ति और निर्माण सहित) में 2.7 प्रतिशत की दर से वृद्धि का अनुमान है, जबकि 2012-13 में यह 2.1 प्रतिशत था। विनिर्माण क्षेत्र में वर्ष 2013-14 में 1.5 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान है जबकि 2012-13 में यह 1 प्रतिशत था। · वर्ष 2013-14 में सेवा क्षेत्र में 6.6 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान है जबकि 2012-13 में यह 7.1 प्रतिशत था। · प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के अनुमान के अनुसार 2013-14 में वृद्धि दर 2012-13 की तुलना में अधिक रहेगी। कृषि क्षेत्र के अच्‍छे प्रदर्शन के अलावा अर्थव्‍यवस्‍था के अन्‍य क्षेत्रों में भी 3 कारणों से वर्ष 2013-14 की दूसरी छमाही में बेहतर प्रदर्शन का अनुमान है। o विगत छमाही के दौरान किए गए विभिन्‍न उपायों का पूरा प्रभाव इस वर्ष बाद में दिखाई पड़ेगा। o मुख्‍य आधारभूत क्षेत्रों के प्रदर्शन में सुधार लाने पर काफी जोर दिया जा रहा है, जैसे कोयला, बिजली, सड़क और रेल आदि। o परियोजनाओं के कार्यान्‍वयन में आने वाली बाधाओं को दूर के लिए निरन्‍तर प्रयास किए जा रहे हैं। Ø ढांचागत कारक · वर्ष 2007-08 और 2011-12 के बीच जो घरेलू बचत दर में छह प्रतिशत की गिरावट हुई, वह सार्वजनिक क्षेत्र की बचत में 3.7 प्रतिशत और निजी निगमित क्षेत्र की बचत में 2.2 प्रतिशत गिरावट के कारण हुई। · वर्ष 2011-12 में सकल घरेलू बचत गिरकर 8 प्रतिशत रह गई जबकि 2010-11 से पहले यह 11-12 प्रतिशत थी। · 2013-14 में निवेश दर का अनुमान सकल घरेलू उत्‍पाद का 34.7 प्रतिशत है, जबकि 2012-13 में यह 35 प्रतिशत था। · घरेलू बचत दर का अनुमान सकल घरेलू उत्‍पाद का 31 प्रतिशत है, जब‍कि 2012-13 में यह 30.2 प्रतिशत था। Ø घरेलू मूल्‍य वृद्धि · 2013-14 के दौरान कृषि क्षेत्र के अच्‍छे प्रदर्शन के कारण खाद्य पदार्थों की महंगाई पर मामूली असर पड़ेगा, रुपये के अवमूल्‍यन से दबाव और बढ़ सकता है। इसके अलावा थोक मूल्‍य सूचकांक में महंगाई दर मार्च 2014 के अंत तक लगभग 5.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है जबकि 2012-13 में यह औसतन 7.4 प्रतिशत और मार्च 2013 के अंत में 5.7 प्रतिशत थी। · हाल के महीनों में थोक मूल्‍य सूचकांक और उपभोक्‍ता मूल्‍य सूचकांक के बीच अंतर का मुख्‍य कारण उपभोक्‍ता मूल्‍य सूचकांक में खाद्य पदार्थों पर अधिक जोर देना था। Ø विदेशी क्षेत्र: चालू खाता घाटे पर नियंत्रण कायम करना एक प्रमुख मौजूदा चुनौती बनी हुई है · 2013-14 में चालू खाता घाटे का अनुमान 70 अरब अमरीकी डॉलर (सकल घरेलू उत्‍पाद का 3.8 प्रतिशत) है, जबकि 2012-13 में यह 88.2 अरब अमरीकी डॉलर (सकल घरेलू उत्‍पाद का 4.8 प्रतिशत) था। o 2013-14 में जिन्‍स व्‍यापार घाटे का अनुमान 185 अरब अमरीकी डॉलर (सकल घरेलू उत्‍पाद का 10.1 प्रतिशत) है, जबकि 2012-13 में यह 195.7 अरब अमरीकी डॉलर (सकल घरेलू उत्‍पाद का 10.6 प्रतिशत) था। o 2013-14 में सकल अदृश्‍य आय का अनुमान 115 अरब अमरीकी डॉलर (सकल घरेलू उत्‍पाद का 6.3 प्रतिशत) है, जबकि 2012-13 में यह 107.5 अरब अमरीकी डॉलर (सकल घरेलू उत्‍पाद का 5.8 प्रतिशत) था। o 2010-11 और 2012-13 के बीच तेल और सोने के आयात में वृद्धि के परिणामस्‍वरूप चालू खाता घाटे में लगभग 57 अरब अमरीकी डॉलर अथवा सकल घरेलू उत्‍पाद के 3.0 प्रतिशत का योगदान रहा। o 2013-14 में चालू खाता घाटा 70 अरब अमरीकी डॉलर तक घट सकता है। · 2013-14 में सकल पूंजी प्रवाह का अनुमान 61.4 अरब अमरीकी डॉलर (सकल घरेलू उत्‍पाद का 3.4 प्रतिशत) है, जबकि 2012-13 में यह 89.4 अरब अमरीकी डॉलर था। o 2013-14 में कुल प्रत्‍यक्ष विदेशी निवेश का अनुमान 21.7 अरब अमरीकी डॉलर है, जबकि 2012-13 में यह 19.8 अरब अमरीकी डॉलर था। o 2013-14 में कुल विदेशी संस्‍थानिक निवेश प्रवाह का अनुमान 2.7 अरब अमरीकी डॉलर था, जबकि अगस्‍त के अंत तक के आंकड़े नकारात्‍मक प्रवाह दर्शाते है। 2011-12 में निवल आंकड़े का अनुमान 17 अरब अमरीकी डॉलर और 2012-13 में 27 अरब अमरीकी डॉलर है। o 2013-14 में ऋण मद के अधीन कुल प्रवाह का अनुमान 22 अरब अमरीकी डॉलर है, जबकि 2012-13 में यह 31.1 अरब अमरीकी डॉलर था। · 2013-14 में कुल बैंकिंग पूंजी प्रवाह का अनुमान 18 अरब अमरीकी डॉलर है, जबकि 2012-13 में यह 16.6 अरब अमरीकी डॉलर था। · मुद्रा का विदेशी मूल्‍य: o विशेषकर मई से लेकर 2013 में मुद्रा में गिरावट दर्ज की गई, जो चालू खाता घाटे, अधिक मूल्‍य वृद्धि और कमजोर वृद्धि दर के कारण हुआ। o भारत के लिए चालू खाता घाटे का वित्‍तपोषण करना अल्‍पकालिक समस्‍या है, जबकि चालू खाता घाटे को सकल घरेलू उत्‍पाद के लगभग 2.5 प्रतिशत के वहनीय स्‍तर तक लाना एक मध्‍यकालिक चुनौती है। o मौजूदा स्‍तर पर रुपये में अच्‍छा सुधार है। जैसे-जैसे पूंजी प्रवाह हो रहा है और चालू खाता घाटे में कमी आ रही है वैसे ही विदेशी मुद्रा बाजार में टिकाऊपन वापस आ रहा है और रुपये में मजबूती के संकेत मिल रहे हैं। Ø राजकोषीय स्थिति: राजकोषीय घाटे को बजट में दर्शाए गए अनुमानों के अंदर सीमित रखना पर नियंत्रण पाना एक चुनौती हो सकती है। · 2013-14 में केंद्रीय बजट में राजकोषीय घाटे का अनु मान सकल घरेलू उत्‍पाद का 4.8 है, जबकि 2012-13 में यह 4.9 प्रतिशत था। · चालू वित्‍त वर्ष के पहले चार महीनों के दौरान राजकोषीय घाटा पूरे वित्‍त वर्ष के लिए बजटीय प्रावधान के 62.8 प्रतिशत तक पहुंच चुका है और प्रमुख सब्सिडीज पर व्‍यय 51.3 प्रतिशत हो गया है। · राजकोषीय घाटे में कमी लाने के उद्देश्‍य हेतु वित्‍त वर्ष के शेष महीने में विवेकाधीन व्‍यय में कमी लाने और सब्सिडीज को फिर से निर्धारित करने की जरूरत है। Ø मौद्रिक नीति · रुपये में मजबूती आने तक मौजूदा मौद्रिक नीति को कायम रखना होगा। Ø आर्थिक स्थिति में सुधार लाने के लिए सुझाए गए उपाय पिछले वर्ष के दौरान की गई विकासोन्‍मुखी पहल · प्रत्‍यक्ष विदेशी निवेश की शर्तों को उदार बनाना। · उद्योग जगत से संबंधित कुछ कर संबंधी मुद्दों का समाधान। · सार्वजनिक क्षेत्र के निवेश में तेजी लाना: कोयला, बिजली, सड़‍क, रेलवे पर विशेष ध्‍यान। · विशेष फ्रेट कॉरिडॉर पर निर्माण शुरू करना · प्रमुख परियोजनाओं में तेजी लाने/रुकावटों को दूर करने के लिए निवेश संबंधी कैबिनेट समिति का गठन : 209 परियोजनाएं (‍कुल निवेश 384,203 करोड़ रुपये) स्‍वीकृत · वित्‍तीय घाटे को नियंत्रण में रखने के लिए मध्‍यावधि सुधारात्‍मक उपाय · चीनी, यूरिया, गैस, सड़क, बैंकिंग आदि जैसे कई क्षेत्रों के लिए बेहतर निवेश नीति · लम्बित विधेयकों की जल्‍दी संसदीय स्‍वीकृति 2 मध्‍याव‍धि से दीर्घावधि उपाय विनिर्माण क्षमताओं में सुधार · घरेलू आपूर्ति श्रृंखलाओं में सुधार · इल्‍केट्रॉनिक्‍स जैसे क्षेत्रों में विशिष्‍ट कर मामलों पर ध्‍यान देना · कुशल श्रम की सुनिश्चित आपूर्ति के ज़रिये प्रॉडक्टिीविटी शिफ्ट को सुगम बनाना · प्रक्रियाओं को सुचारु बनाकर व्‍यापार को सुविधाजनक बनाने को प्रोत्‍साहन देना ·विदेशी निवेश · स्थिर गैर-परिवर्तनीय नीति व्‍यवस्‍था · अन्‍तरण मूल्‍यन मुद्दों का शीघ्र समाधान कम चालू खाता घाटा · रुपये के मूल्‍य में गिरावट का लाभ उठाने के लिए निर्यात स्‍पर्धा में सुधार के लिए खास रणनीति · निर्यात संबंधी प्रक्रियाओं का सरलीकरण · घरेलू कोयला उत्‍पादन में वृद्धि और तेल सब्सिडी को कम करना, ताकि मूल्‍यों में अधिक लचीलापन रहे · संशोधित स्‍वर्ण जमा योजना को सक्रियता से लागू करना क्षेत्र विशेष से संबंधित उपाय · कृषि क्षेत्र o उच्‍च मूल्‍य वाली कृषि को बढ़ावा देना o कृषि उपज विपणन समिति कानूनों सहित कृषि विपणन नीतियों में सुधार · बॉन्‍ड बाजारों को विकसित करना · रक्षा खरीद में सरकार-निजी क्षेत्र भागीदारी · मध्‍यम, लघु, सूक्ष्‍म उद्यमों को बढ़ावा देना · ऊर्जा क्षेत्र में महत्‍वपूर्ण उपाय करना

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